लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है। लिखते लिखते फ़िर कलम भी साथ निभाता है बन के अभिव्यक्ति किताब पे छप जाता है।
काश! हम आज ये काश ना कहते, बीते हुए वक़्त के पन्ने पलट पाते। काश! हम आज ये काश ना कहते, बीते हुए वक़्त के पन्ने पलट पाते।
मैं अधूरा हूँ... तुम होती तो... शायद पूरा होता! मैं अधूरा हूँ... तुम होती तो... शायद पूरा होता!
मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते। मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते।
तुझे यूं ज़िंदगी से मुंह मोड़ना नहीं चाहिए था.. इतनी आसानी से मौत को गले लगाना था. तुझे यूं ज़िंदगी से मुंह मोड़ना नहीं चाहिए था.. इतनी आसानी से मौत को गले लगान...
जूता क्या है..दुनियादारी पांव बराबर बैठ गए तो भैय्या तुम एकदम फिट हो इस दुनिया के लिए, पर उनका क्... जूता क्या है..दुनियादारी पांव बराबर बैठ गए तो भैय्या तुम एकदम फिट हो इस दुनिय...